पुरुषों के लिए अश्वगंधा के 9 फायदे [शोध आधारित]

अश्वगंधा आयुर्वेद में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों में से एक है, जो प्राकृतिक चिकित्सा के भारतीय सिद्धांतों पर आधारित वैकल्पिक चिकित्सा का एक पारंपरिक रूप है।

लोग हजारों सालों से तनाव दूर करने, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और एकाग्रता में सुधार करने के लिए अश्वगंधा का उपयोग करते आ रहे हैं (1)।

“अश्वगंधा” एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है “घोड़े की गंध”, जो इस जड़ी बूटी में आने वाली घोड़े की गंध और घोड़े की तरह ताकत बढ़ाने की इसकी क्षमता, दोनों को संदर्भित करता है (2)।

इसका वैज्ञानिक नाम विथानिया सोम्निफेरा (Withania somnifera) है, और इसे “भारतीय जिनसेंग” और “विंटर चेरी” सहित कई अन्य नामों से भी जाना जाता है।

अश्वगंधा का पौधा पीले फूलों वाली एक छोटी झाड़ी जैसा होता है, जो भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में बारहमासी उगता है। पौधे की जड़ या पत्तियों से निकले अर्क या पाउडर का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिसमें चिंता और प्रजनन संबंधी समस्याएं शामिल हैं (3)।

शोधों के आधार पर, पुरुषों के लिए अश्वगंधा के 9 संभावित लाभ निम्न हैं:

1. तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है

अश्वगंधा शायद अपनी तनाव को कम करने की क्षमता के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। इसे एडाप्टोजेन पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यानि यह शरीर को तनाव के प्रति अनुकूल बनाने और शारीरिक प्रक्रियाओं को सामान्य स्थिति में लाने में मदद करता है।

2019 में मुंबई में हुए एक शोध में अश्वगंधा को शरीर में तनाव बढ़ाने वाले पदार्थों जैसे हीट शॉक प्रोटीन (Hsp70), कोर्टिसोल और तनाव-सक्रिय किनेज प्रोटीन (JNK-1) को नियंत्रित करते हुए पाया गया है।

2019 के ही एक अन्य शोध के अनुसार, यह आपके शरीर में तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने वाली हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल (HPA) नामक प्रणाली की गतिविधि को कम करता है।

कई शोधों से पता चला है कि अश्वगंधा के कैप्सूल तनाव और चिंता को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

58 प्रतिभागियों के एक छोटे से शोध में, जिन्होंने 8 सप्ताह के लिए 250 या 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लिया, उनमें प्लेसबो (नकली दवा) लेने वालों की तुलना में कथित तनाव और स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर काफी कम हो गया।

इसके अलावा, अश्वगंधा की खुराक लेने वाले प्रतिभागियों ने अन्य की तुलना में अपनी नींद की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव किया।

60 लोगों पर किए गए एक अन्य शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने 60 दिनों के लिए प्रतिदिन 240 मिलीग्राम अश्वगंधा का अर्क लिया, उनमें प्लेसबो उपचार प्राप्त करने वालों की तुलना में चिंता में उल्लेखनीय कमी आई।

इसलिए, प्रारंभिक शोधों से यह पता चलता है कि अश्वगंधा तनाव और चिंता कम करने काफी सहायता कर सकता है।

हालांकि, शोधों की एक हालिया समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला कि तनाव से संबंधित न्यूरोसाइकिएट्रिक विकारों जैसे चिंता के इलाज के लिए अश्वगंधा की सबसे उपयुक्त खुराक और रूप पर आम सहमति बनाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

सारांश

अश्वगंधा तनाव और चिंता के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी हो सकता है। हालांकि, अश्वगंधा के उपयुक्त रूपों और खुराक पर आम सहमति बनाने के लिए और अधिक शोधों की आवश्यकता है।

2. टेस्टोस्टेरोन और प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकता है

अश्वगंधा सप्लीमेंट को कुछ शोधों में पुरुषों की प्रजनन क्षमता को लाभ पहुंचाने और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मददगार पाया गया है।

एक शोध में, 40 से 70 वर्ष की आयु के 43 अधिक वजन वाले पुरुषों, जिनको हल्की थकान थी, उन्हें 8 सप्ताह तक रोजाना अश्वगंधा सप्लीमेंट या एक प्लेसबो (नकली) गोली दी गई।

शोध के अंत में, अश्वगंधा को टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में शामिल एक सेक्स हार्मोन DHEA-S में 18% वृद्धि करते हुए पाया गया। साथ ही, अश्वगंधा लेने वाले प्रतिभागियों में प्लेसबो की तुलना में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में 14.7% अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

इसके अलावा, चार शोधों की एक समीक्षा में पाया गया कि अश्वगंधा उपचार से कम शुक्राणुओं वाले पुरुषों में शुक्राणुओं की सघनता, वीर्य की मात्रा और शुक्राणु की गतिशीलता में काफी वृद्धि हुई। इसने सामान्य शुक्राणुओं की संख्या वाले पुरुषों में भी शुक्राणुओं की सघनता और गतिशीलता में वृद्धि की।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि पुरुष प्रजनन क्षमता के लिए अश्वगंधा के संभावित लाभों की पुष्टि करने के लिए वर्तमान में पर्याप्त डेटा नहीं है और अधिक उच्च गुणवत्ता वाले शोधों की आवश्यकता है।

सारांश

अश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है और पुरुष प्रजनन क्षमता के लिए कुछ संभावित लाभ हो सकते हैं। हालांकि, और अधिक शोधों की जरूरत है।

3. एथलेटिक परफॉरमेंस बड़ा सकता है

शोधों से पता चला है कि अश्वगंधा एथलेटिक परफॉरमेंस पर लाभकारी प्रभाव डाल सकता है और एथलीटों के लिए एक सार्थक सप्लीमेंट हो सकता है।

12 शोधों के एक विश्लेषण, जिसमें पुरुषों और महिलाओं ने प्रति दिन 120 मिग्रा से 1,250 मिग्रा के बीच अश्वगंधा की खुराक ली, के परिणामों में पाया गया कि अश्वगंधा शारीरिक प्रदर्शन को बढ़ा सकता है, जिसमें एक्सरसाइज के दौरान शक्ति और ऑक्सीजन उपलब्धता शामिल है।

पांच शोधों के एक अन्य विश्लेषण में पाया गया कि अश्वगंधा लेने से स्वस्थ वयस्कों और एथलीटों में अधिकतम ऑक्सीजन खपत (VO2 मैक्स) में काफी वृद्धि होती है।

VO2 मैक्स एक व्यक्ति द्वारा तीव्र शारीरिक गतिविधि के दौरान उपयोग की जाने वाली ऑक्सीजन की अधिकतम मात्रा होती है। यह दिल और फेफड़ों की फिटनेस का पैमाना होता है।

एथलीटों या अन्य उच्च शारीरिक तीव्रता वाला कार्य करने वाले पुरुषों (जैसे बॉडी बिल्डर्स) में VO2 मैक्स का उच्चतम स्तर पर होना महत्वपूर्ण है। कम VO2 मैक्स होने से मृत्यु की सम्भावना बढ़ जाती है, जबकि उच्च VO2 मैक्स हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है।

इसके अतिरिक्त, अश्वगंधा मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।

एक शोध में, पुरुष प्रतिभागियों ने प्रति दिन 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लिया और 8 सप्ताह के लिए रेसिस्टेंस ट्रेनिंग एक्सरसाइज में भाग लिया। प्लेसबो (नकली दवा) लेने वाले पुरुषों के समूह की तुलना में अश्वगंधा लेने वाले पुरुषों की मांसपेशियों की ताकत और आकार में काफी अधिक लाभ हुआ।

सारांश

अश्वगंधा एथलीटों और स्वस्थ वयस्कों में VO2 मैक्स और ताकत बढ़ाने के साथ-साथ उनके शारीरिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है।

4. कुछ मानसिक समस्याओं के लक्षणों को कम कर सकता है

कुछ सबूत बताते हैं कि अश्वगंधा कुछ लोगों में डिप्रेशन सहित अन्य मानसिक समस्याओं के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

एक शोध में, शोधकर्ताओं ने सिज़ोफ्रेनिया वाले 66 लोग, जो डिप्रेशन और चिंता का अनुभव कर रहे थे, में अश्वगंधा के प्रभावों की जाँच की।

उन्होंने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने 12 सप्ताह तक रोजाना 1,000 मिलीग्राम अश्वगंधा लिया, उनमें प्लेसबो लेने वालों की तुलना में डिप्रेशन और चिंता में अधिक कमी आई।

इसके अलावा, एक अन्य शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि अश्वगंधा लेने से सिज़ोफ्रेनिया वाले लोगों में कुल लक्षणों और कथित तनाव में सुधार हो सकता है।

2013 के एक सीमित शोध से यह भी पता चलता है कि अश्वगंधा बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में संज्ञानात्मक हानि में सुधार करने में मदद कर सकता है। हालाँकि, इसे साबित करने के लिए और अधिक शोधों की आवश्यकता है।

इसके अतिरिक्त, 2012 के एक शोध में पाया गया कि तनावग्रस्त वयस्कों द्वारा 60 दिनों के लिए प्रतिदिन 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लेने से उनके डिप्रेशन के लक्षणों में 77% की कमी दर्ज की, जबकि प्लेसीबो लेने वाले समूह ने 5% की कमी की सूचना दी।

हालांकि कुछ निष्कर्ष बताते हैं कि कुछ लोगों में अश्वगंधा के कुछ एंटीडिप्रेसेंट प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए आपको इसे एंटीडिप्रेसेंट की दवा के विकल्प के रूप में उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

सारांश

कुछ उपलब्ध सीमित शोधों से पता चलता है कि अश्वगंधा डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने और कुछ मानसिक समस्याओं वाले लोगों को लाभ पहुंचाने में मदद कर सकता है। हालांकि, अभी और अधिक शोधों की जरूरत है।

5. ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकता है

सीमित प्रमाण बताते हैं कि डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर के स्तर वाले लोगों के लिए अश्वगंधा के कुछ लाभ हो सकते हैं।

डायबिटीज वाले लोगों में हुई 24 शोधों की एक समीक्षा, जिसमें 5 क्लीनिकल शोध भी शामिल हैं, में पाया गया कि अश्वगंधा लेने से ब्लड शुगर, हीमोग्लोबिन A1c (HbA1c), इंसुलिन, ब्लड लिपिड और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस मार्करों में काफी कमी आई है।

ऐसा माना जाता है कि अश्वगंधा के भीतर मौजूद कुछ यौगिकों, जिसमें विथेफेरिन ए (withaferin A) नामक यौगिक भी शामिल है, में शक्तिशाली एंटीडायबिटिक प्रभाव होते हैं, और यह आपकी कोशिकाओं को आपके ब्लड सर्कुलेशन से ग्लूकोज लेने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद कर सकते हैं (स्रोत)।

हालाँकि, इस समय शोध कम हुए हैं, और अधिक अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए शोधों की आवश्यकता है।

सारांश

सीमित सबूत बताते हैं कि अश्वगंधा इंसुलिन स्राव और रक्त से ग्लूकोज को अवशोषित करने वाली कोशिकाओं पर प्रभाव डालकर ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है।

6. इन्फ्लेमेशन को कम कर सकता है

अश्वगंधा में मौजूद कुछ यौगिक, जिसमें विथेफेरिन ए भी शामिल है, शरीर के इन्फ्लेमेशन (सूजन) को कम करने में मदद कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया है कि विथेफेरिन ए शरीर में इन्फ्लेमेशन पैदा करने वाले मार्गों, जैसे न्यूक्लियर फैक्टर कप्पा बी (NF-κB) और न्यूक्लियर फैक्टर एरिथ्रोइड 2-रिलेटेड फैक्टर 2 (Nrf2Nrf2) को लक्षित करता है।

पशुओं पर हुए शोधों से पता चला है कि विथेफेरिन ए शरीर में मौजूद इंटरल्यूकिन -10 (IL-10) जैसे भड़काऊ प्रोटीन के स्तर को भी कम करने में मदद कर सकता है।

ऐसे कुछ सबूत भी मौजूद हैं जो अश्वगंधा को मनुष्यों में भी इंफ्लेमेटरी मार्करों को कम करने में मददगार बताते हैं।

2008 के एक शोध में, तनाव का अनुभव करने वाले वयस्कों ने 60 दिनों तक अश्वगंधा का अर्क लिया। परिणाम में, उनके सी-रिएक्टिव प्रोटीन में महत्वपूर्ण कमी पाई गई, जो कि एक इंफ्लेमेटरी मार्कर होता है।

एक अन्य शोध में, शोधकर्ताओं ने कोरोना से ग्रसित लोगों को एक आयुर्वेदिक दवा, जिसमें 0.5 ग्राम अश्वगंधा और अन्य जड़ी-बूटियां थीं, को 7 दिनों के लिए प्रति दिन दो बार दिया। इसने प्रतिभागियों के CRP, IL-6, और TNF-α नामक इंफ्लेमेटरी मार्करों के स्तर को कम कर दिया।

इस शोध के उपचार में निम्न जड़ी-बूटियाँ भी शामिल थीं –

  • 1 ग्राम गिलोय घनवटी
  • 2 ग्राम स्वरसारी रस
  • 0.5 ग्राम तुलसी घनवटी

सारांश

अश्वगंधा शरीर में इन्फ्लेमेशन के मार्करों को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इनकी कारगरता साबित करने के लिए अभी और अधिक शोधों की आवश्यकता है।

7. दिमाग के कामकाज में सुधार करता सकता है, जिसमें स्मृति भी शामिल है

अश्वगंधा लेने से दिमाग के संज्ञानात्मक कार्य को लाभ हो सकता है।

एक शोध समीक्षा जिसमें पांच क्लीनिकल ​शोध शामिल थे, में कहा गया था कि अश्वगंधा कुछ लोगों में संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में सुधार कर सकता है, जिसमें हल्की संज्ञानात्मक हानि वाले वृद्ध वयस्क और सिज़ोफ्रेनिया वाले लोग शामिल हैं।

समीक्षा के अनुसार अश्वगंधा व्यक्ति के निम्न संज्ञानात्मक कार्यों में लाभ दे सकता है:

  • मैनेजमेंट स्किल
  • ध्यान (अटेन्शन)
  • प्रतिक्रिया समय
  • संज्ञानात्मक कार्यों का परफॉरमेंस

50 वयस्क पुरुषों पर हुए एक शोध से पता चला है कि 8 सप्ताह के लिए प्रति दिन 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लेने से, पुरुषों में निम्नलिखित कार्यों में महत्वपूर्ण सुधार हुए:

  • आसन्न और सामान्य स्मृति
  • ध्यान
  • किसी भी इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस करने की गति

शोधकर्ताओं ने देखा कि अश्वगंधा में पाए जाने वाले यौगिकों, जिसमें विथेफेरिन ए भी शामिल है, का दिमाग पर एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है, जिससे व्यक्ति के संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को लाभ मिल सकता है।

सारांश

अश्वगंधा के सप्लीमेंट व्यक्ति की स्मृति, प्रतिक्रिया समय और कुछ में कार्य करने की क्षमता में सुधार कर सकते हैं।

8. नींद को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है

बहुत से लोग अपनी आरामदायक नींद को बढ़ावा देने के लिए अश्वगंधा को लेते हैं, और कुछ सबूत बताते हैं कि यह नींद की समस्याओं में मदद कर सकता है।

उदाहरण के लिए, 65-80 आयु वर्ग के 50 वयस्कों पर हुए एक शोध में पाया गया कि 12 सप्ताह तक प्रतिदिन 600 मिलीग्राम अश्वगंधा की जड़ का पाउडर लेने से नींद की गुणवत्ता और मानसिक सतर्कता में काफी सुधार होता है।

इसके अतिरिक्त, पांच उच्च गुणवत्ता वाले शोधों की एक समीक्षा में पाया गया, कि अश्वगंधा का समग्र नींद की गुणवत्ता पर एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अश्वगंधा लेने से लोगों की चिंता का स्तर कम हो गया और जागने पर उन्हें अधिक सतर्क महसूस करने में मदद मिली।

शोधकर्ताओं ने यह भी नोट किया कि अनिद्रा से ग्रसित लोगों में और वह लोग जो 8 सप्ताह या उससे अधिक समय तक प्रतिदिन 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लेते हैं, उनमें परिणाम अधिक स्पष्ट थे।

सारांश

हाल के सबूत बताते हैं कि अश्वगंधा नींद में सुधार के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार हो सकता है, विशेष रूप से अनिद्रा से ग्रसित लोगों के लिए।

9. अपेक्षाकृत सुरक्षित और व्यापक रूप से उपलब्ध होता है

ज्यादातर लोगों के लिए अश्वगंधा एक सुरक्षित सप्लीमेंट होता है, हालांकि इसके दीर्घकालिक प्रभाव अज्ञात हैं।

69 शोधों की एक समीक्षा में पाया गया कि अश्वगंधा की जड़ चिंता, तनाव और अनिद्रा सहित कुछ आम स्वास्थ्य स्थितियों के प्रबंधन के लिए सुरक्षित और प्रभावी प्रतीत होता है।

80 स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं पर किए गए एक शोध में, 8 सप्ताह तक रोजाना 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लेना सुरक्षित पाया गया और इससे प्रतिभागियों के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।

हालांकि, कुछ लोगों को इसे नहीं लेना चाहिए। उदाहरण के लिए, गर्भवती महिलाओं को इससे बचना चाहिए क्योंकि इसकी उच्च खुराक लेने से गर्भावस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

इसके अलावा, हार्मोन-संवेदनशील प्रोस्टेट कैंसर वाले लोग और जो लोग कुछ दवाएं, जैसे बेंजोडायजेपाइन (benzodiazepines), एंटीकंवलसेंट (anticonvulsants), या बार्बीट्युरेट (barbiturates) लेते हैं, उन्हें अश्वगंधा लेने से बचना चाहिए (स्रोत)।

अश्वगंधा की खुराक लेने वाले लोगों में कुछ दुष्प्रभावों की सम्भावना बताई गई है, जिनमें पेट संबंधी परेशानी, उंघाई, आलस्य और दस्त शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, 2014 के एक शोध अनुसार, अश्वगंधा थायराइड को प्रभावित कर सकता है, इसलिए थायराइड रोग वाले लोगों को इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

अश्वगंधा के डोज अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रति दिन 250-1,250 मिलीग्राम का डोज विभिन्न स्थितियों के लिए प्रभावकारी देखा गया है। यदि अश्वगंधा के डोज के संबंध में आपके कोई प्रश्न हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि अश्वगंधा के प्रभाव तत्काल नहीं होते हैं, इसलिए ध्यान रखें कि इसके प्रभावों को नोटिस करने से पहले, आपको इसे कई महीनों तक लेना पड़ सकता है।

आप अश्वगंधा को कई तरह से ले सकते हैं, उदाहरण के लिए एक बार में ही पूरा डोज लेना, या इसे भागित करके दिन में कई बार लेना। और आप इसे भोजन के बाद या खाली पेट भी ले सकते हैं।

इसे आप किसी भी मेडिकल स्टोर पर खरीद सकते हैं, या ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।

सारांश

हालांकि अश्वगंधा ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ के लिए यह सुरक्षित नहीं होता। इसलिए अश्वगंधा लेने से पहले डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

अश्वगंधा एक प्राचीन औषधीय जड़ी बूटी है, जिसके पुरुषों के लिए कई संभावित स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

शोधों के निष्कर्ष बताते हैं कि यह चिंता और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, आरामदायक नींद का समर्थन कर सकता है, पुरुषों के सेक्सुअल परफॉरमेंस में मददगार हो सकता है और यहां तक कि कुछ लोगों में संज्ञानात्मक कामकाज व दिमागी स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकता है।

अश्वगंधा ज्यादातर लोगों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं होता है, इसलिए अश्वगंधा को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

Scroll to Top