श्रीमती राधिका 26 साल की थीं जब उन्हें पहली बार बांझपन का पता चला था। उनके मामले में, गर्भ धारण करने में असमर्थता स्टेज 4 एंडोमेट्रियोसिस नामक स्थिति का परिणाम थी।
बांझपन का सामना कर रहे कई लोगों की तरह ही, इस खबर से उनका दिल भी टूट गया था। उन्हें हमेशा विश्वास था कि उनका एक बड़ा परिवार होगा।
इसके बाद के वर्षों में उन्हें जो चुनाव करने पड़े, और बार-बार इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया को दोहराने की पीड़ा ने उन्हें मानसिक रूप से तबाह कर दिया।
जोड़ों के लिए बांझपन के मुद्दों का अनुभव करना आम बात है। इनमें से कई जोड़ों में कोई विशिष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते जिससे उन्हें पता चल सके कि उनमें बांझपन हो सकता है। इसलिए उनके पास संदेह करने का कोई कारण नहीं होता जबतक कि वे गर्भ धारण करने की वास्तविक कोशिश करना शुरू नहीं कर देते।
इस कारण से, यह सलाह दी जाती है कि जो जोड़े एक वर्ष से अधिक समय से गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे हैं और सफल नहीं हो पा रहे हैं, वे डॉक्टर की सलाह लें। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए, यह समय सीमा छह महीने होती है, क्योंकि उम्र के साथ बांझपन की संभावना बढ़ती जाती है।
बांझपन के अधिकतर संकेत और लक्षण अक्सर किसी अन्य अंतर्निहित समस्या से संबंधित होते हैं। उदाहरण के लिए, 10 से 15 प्रतिशत अनुपचारित क्लैमाइडिया मामलों में पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) हो जाती है। पीआईडी फैलोपियन ट्यूब में रुकावट का कारण बनती है, जिससे फर्टिलाइजेशन में रुकावट आती है।
ऐसी ही कई अन्तनिर्हित समस्याएं हैं जो पुरुषों और महिलाओं में बांझपन का कारण बनती हैं। प्रत्येक समस्या के लक्षण और संकेत बहुत भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको संदेह है कि किसी समस्या के कारण आपको बाँझपन हो सकता है तो अपने डॉक्टर से उचित जाँच करवाएं।
बांझपन के कुछ सामान्य लक्षण और संकेत निम्न हैं:
एक महिला का औसत मासिक चक्र 28 दिनों का होता है। लेकिन इससे कुछ दिन कम या ज्यादा होने को भी सामान्य माना जा सकता है, जब तक कि मासिक चक्र सुसंगत रूप से ठीक चल रहा हो।
उदाहरण के लिए, एक महिला जिसका मासिक चक्र 33 दिन का है, यदि उसका अगला चक्र 31 दिन का होता है, और उसके बाद का 35 दिन का होता है, तो इसे एक सामान्य रूप से चलने वाला चक्र माना जायेगा।
लेकिन यदि महिला का हर एक चक्र इतना अधिक भिन्न होता है कि वह यह अनुमान भी नहीं लगा सकती कि उसके अगले पीरियड्स कब आएंगे, तो वह अनियमित मासिक चक्र का अनुभव कर रही है। यह हार्मोन की समस्याओं, या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से संबंधित हो सकता है। ये दोनों ही बांझपन में योगदान दे सकते हैं।
पीसीओएस एक हार्मोनल विकार होता है जिसके कारण महिला के अंडाशय सामान्य से अधिक बढ़ जाते हैं और उनके बाहरी किनारों पर छोटे अल्सर जैसे उभार बन जाते हैं।
ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थोड़ी ऐंठन की समस्या होती है। लेकिन ऐसे दर्दनाक पीरियड्स जो आपके दैनिक जीवन में बाधा डालते हैं, एंडोमेट्रियोसिस का लक्षण हो सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस एक बीमारी है जिसमें गर्भाशय के बाहर ऊतक इकठ्ठा हो जाते हैं।
महिलाओं में एकाध महीने के लिए मासिक धर्म न होना कोई असामान्य बात नहीं है। तनाव या भारी व्यायाम जैसे कारक आपके पीरियड्स को अस्थायी रूप से गायब कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको महीनों से मासिक धर्म नहीं हुआ है, तो आपको अपनी प्रजनन क्षमता की जांच कराने का समय आ गया है।
महिलाओं में हार्मोन के उतार-चढ़ाव उनकी प्रजनन क्षमता में मौजूद कोई संभावित समस्या का संकेत दे सकते हैं। यदि आप निम्न चीजें अनुभव करती हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें:
कुछ महिलाएं हमेशा दर्दनाक सेक्स का अनुभव करती हैं, इसलिए वह खुद को आश्वस्त कर लेती हैं कि ऐसा होना सामान्य है। लेकिन ऐसा नहीं है। सेक्स में दर्द कारण हार्मोनल समस्याओं, एंडोमेट्रियोसिस, या अन्य अंतर्निहित समस्या से संबंधित हो सकता है, जो बांझपन में भी योगदान दे सकता है।
एक पुरुष की प्रजनन क्षमता भी उसके हार्मोन स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। यौन इच्छा में परिवर्तन, जो अक्सर हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है, प्रजनन क्षमता में समस्याओं का संकेत कर सकता है।
ऐसी कई अलग-अलग अन्तनिर्हित स्थितियां हैं जो अंडकोष में दर्द या सूजन पैदा कर सकती हैं, जिनमें से कई बांझपन में योगदान कर सकती हैं।
एक पुरुष की लिंग को खड़ा बनाए रखने की क्षमता अक्सर उसके हार्मोन के स्तर से जुड़ी होती है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण पुरुष को अपना लिंग खड़ा करने या लम्बे समय तक खड़ा बनाये रखने में समस्या हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप उन्हें सेक्स में भी समस्या आ सकती है, जो संभावित रूप से गर्भधारण में रुकावट का कारण बन सकती है।
स्खलन करने में असमर्थता या स्खलन के दौरान न के बराबर वीर्य निकलना आपमें एक समस्या का संकेत है।
अंडकोष में पुरुष के शुक्राणु होते हैं, इसलिए पुरुष प्रजनन क्षमता के लिए अंडकोष का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। छोटे या कठोर अंडकोष संभावित समस्याओं का संकेत दे सकते हैं जिनके बारे में डॉक्टर द्वारा जाँच कराकर पता लगाया जाना चाहिए।
गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे लगभग 15 से 20 प्रतिशत जोड़ों को बांझपन की समस्या होती है। आमतौर पर इनमें से 40 प्रतिशत मामलों में महिला में समस्या के कारण बाँझपन होता है, जबकि 30 से 40 प्रतिशत बार पुरुष समस्या का कारण होते हैं। 20 से 30 प्रतिशत मामलों में महिला और पुरुष दोनों बांझपन का कारण बनते हैं।
यदि आपमें बाँझपन होने का पता चलता है, या आपको डर है कि आपको भविष्य में गर्भ धारण करने में परेशानी हो सकती है, तो आप अकेले नहीं हैं। मेडिकल साइंस निरंतर इस क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, और बाँझपन के अधिकतर मामलों का इलाज या समाधान संभव है। इसलिए अपने डॉक्टर से मिलें और अपनी चिंताओं के बारे में उसे खुलकर बताएं।