क्या पोर्न या सेक्स फिल्में देखने से स्तंभन दोष या लिंग में ढीलापन हो सकता है?

सेक्स के दौरान लिंग को खड़ा न कर पाने या खड़ा बनाये न रख पाने की समस्या को स्तंभन दोष कहा जाता है।

स्तंभन दोष और लिंग में ढीलेपन के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों कारण शामिल हैं, जैसे परफॉरमेंस की चिंता, अवसाद या शारीरिक स्वास्थ्य।

लेकिन क्या पोर्न या सेक्स फिल्में देखने से भी किसी व्यक्ति को स्तंभन दोष हो सकता है? आइये जानते हैं कि इसको लेकर वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं।

पोर्न और ‘यौन अरुचि’

हालाँकि स्तंभन दोष ज्यादातर वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करता है, लेकिन इटली में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि किशोर लड़कों के बीच इंटरनेट पोर्न देखने में वृद्धि के कारण उनमें “यौन अरुचि” या रोमांटिक यौन संबंधों के प्रति भूख की कमी हो सकती है।

धारणा यह है कि आजकल बहुत अधिक पोर्न देखने से लोगों में स्तंभन दोष और सामान्य सेक्स करने की इच्छा में कमी जंगल की आग की तरह फैल गई है।

लेकिन सभी विशेषज्ञ ऐसा नहीं सोचते हैं।

अमेरिका की जानी मानी यौन मनोवैज्ञानिक निकोल प्रौसे कहती हैं “हमारे दो शोधो में पाया गया है कि पुरुषों द्वारा देखी जाने वाली सेक्स फिल्मों की संख्या और उनके साथी के साथ स्तंभन क्रिया के बीच कोई संबंध नहीं होता है।”

उनका शोध सेक्सुअल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था, और इस विषय का यह पहला सहकर्मी-समीक्षा अध्ययन था।

वह कहती हैं “एक शोध में जिन पुरुषों ने नियमित सेक्स फिल्में देखने की सूचना दी थी उनमें मजबूत यौन उत्तेजना होना पाई गई।”

केवल उन पुरुषों में स्तंभन दोष की समस्या देखी गई, जो मानते थे कि सेक्स फिल्में देखने से उनकी यौन क्रिया पर विपरीत प्रभाव पढ़ रहा है।

शोध में निष्कर्ष निकाला गया कि सेक्स फिल्में या पोर्न देखना पुरुषों में स्तंभन दोष या लिंग के ढीलेपन में योगदान नहीं देते।

लेकिन जिन पुरुषों के व्यक्तिगत मूल्य या सोच सेक्स फिल्मों को देखने को लेकर विरोधाभासी होते हैं, वह अक्सर सामान्य सेक्स के प्रति शर्म का अनुभव कर सकते हैं जिससे उनकी यौन क्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

लेकिन क्या पोर्न यौन भूख को प्रभावित नहीं करता

हाँ, विशेषज्ञ कहते हैं कि पोर्न देखने से यौन भूख प्रभावित हो सकती है। और इसके परिणाम स्वरूप साथी के साथ सामान्य सेक्स के दौरान इरेक्शन हासिल करना और ऑर्गाज्म प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।

मनोवैज्ञानिक निक्की मार्टिनेज, PsyD, LCPC, का कहना है कि आजकल यौन सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला की आसानी से उपलब्धता, पुरुष को एक साथी के साथ उत्तेजित होने या सामान्य यौन गतिविधियों में भाग लेने में मुश्किल बना सकती है।

वह कहती हैं “पोर्न के जरिये पुरुष अपनी सभी सेक्स फेंटसी, इच्छाओं और प्रवृत्तियों को पूरा कर लेते हैं, और अब साथी के सामान्य सेक्स के दौरान इन चीजों के न होने के कारण उत्तेजित होने में संघर्ष करते हैं। इससे उनकी महिला साथी हीन भावना महसूस करने लगती है – जैसे उसे लगने लगता है कि वह सुंदर या आकर्षक नहीं है, या उसका साथी उसे पसंद नहीं करता। – और अक्सर पुरुष भी उसे यह बताने में बहुत शर्मिंदगी महसूस करता है कि वास्तव में उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है।”

पोर्न देखने से आपकी आत्म छवि में भी बदलाव आ सकता है

पोर्न या सेक्स फिल्में पुरुषों में कई अवास्तविक उम्मीदें पैदा कर सकती हैं – जैसे सेक्स कैसा होना चाहिए, उनकी साथी को कैसा दिखना चाहिए और उनको क्या करने में सक्षम होना चाहिए।

और इस बात को लेकर तो कोई दुविधा नहीं है कि ज्यादातर पुरुष अपनी सेक्सुअल फेंटसी और इच्छाओं को पोर्न या सेक्स फिल्मों के माध्यम से पूरा करते हैं, न कि अपनी साथी के साथ।

न्यूयॉर्क शहर की यौन मनोवैज्ञानिक एलेक्सिस कॉनसन कहती हैं कि उन्हें नहीं लगता कि पोर्न पुरुषों में स्तंभन दोष का कारण बनता है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि कोई व्यक्ति पोर्न को किस तरह से लेता है और इसका उसपर क्या प्रभाव पड़ता है।

वह कहती हैं “उदाहरण के लिए अत्यधिक पोर्न देखना, या एक बार में कई दृश्य देखना, या जल्दी-जल्दी एक दृश्य से दूसरा दृश्य बदलना, पुरुषों में अत्यधिक यौन उत्तेजना का कारण बनता है जो आमतौर पर उन्हें वास्तविक जीवन के सेक्स में अनुभव नहीं होती। इससे उन्हें अपनी साथी के साथ यौन इच्छा में कमी और मानसिक स्तंभन दोष का अनुभव हो सकता है।”

“इसके अलावा, पोर्न फिल्मों में पुरुष अभिनेताओं के असाधारण प्रदर्शन को देखने से व्यक्ति में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। अगर व्यक्ति खुद की तुलना पोर्न फिल्मों के पुरुष अभिनेताओं के यौन प्रदर्शन से करता है, और इसके कारण उसमें अपनी साथी को पूर्ण संतुष्ट न कर पाने और अच्छा सेक्स परफॉरमेंस न दे पाने की चिंता होती है, तो भी उसे स्तंभन दोष हो सकता है।”

तो फिर इसका उपाय क्या है

अगर आपको लगता है कि पोर्न फिल्मों के इन पहलुओं में से कोई भी आपकी सामान्य यौन कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रहा है, तो मनोवैज्ञानिक कम से कम 90 दिनों के लिए पोर्नोग्राफी से बचने की सलाह देते हैं।

यह आपके यौन नजरिये को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है जो ज्यादा पोर्न फिल्में देखने से अक्सर गड़बड़ हो जाता है। इसलिए इस 90 दिनों के ब्रेक के दौरान अपनी कामुकता और वासना को अन्य तरीकों के जरिये अन्वेषित करें।

इस अन्वेषण में दृश्य संकेतों के माध्यम से उत्तेजना भी शामिल हो सकती है, लेकिन यह वास्त्विक दुनिया के तीन आयामी दृश्य होने चाहिए न कि फिल्मों के।

इसके अलावा आप अपनी साथी के साथ सेक्स में रोज नयापन और प्रयोग शामिल करके अधिक वास्तविक कामुकता हासिल कर सकते हैं।

इसी प्रकार आत्म-आनंद या हस्तमैथुन के दौरान भी पोर्न फिल्मों के दृश्यों के बारे में सोचने के वजाय अपने लिंग की वास्तविक सनसनी पर ज्यादा ध्यान दें।

इससे आपको पोर्न फिल्मों की काल्पनिक दुनिया से बाहर आने और अपनी यौन क्षमताओं व उत्तेजकों को बेहतर ढंग से पहचानने में मदद मिलेगी।

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