किसी भी जोड़े की गर्भधारण करने की क्षमता में पुरुष का शुक्राणु स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वस्थ शुक्राणु के लिए छह मुख्य मानदंड हैं:
सफल गर्भावस्था के लिए शुक्राणुओं में पर्याप्त मात्रा में क्रोमोजोम (गुणसूत्रों) का होना भी आवश्यक है। इनमें से किसी भी मानदंड के टूटने से पुरुष-कारक बांझपन हो सकता है।
दुनिया भर में अनुमानित 15-20 प्रतिशत जोड़े बांझपन से प्रभावित हैं। इनमें से, लगभग 30-40 प्रतिशत पुरुष-कारक के कारण बाँझपन है, जिसमें पुरुषों की शुक्राणु गतिशीलता सबसे अहम है। अन्य 20 प्रतिशत जोड़ों में पुरुष और महिला दोनों के संयोजन के कारण बाँझपन है।
कम से कम 25 माइक्रोमीटर प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ने वाले शुक्राणुओं को स्वस्थ गतिशील माना जाता है। यदि किसी पुरुष में शुक्राणु की गतिशीलता खराब है, तो इसे मेडिकल भाषा में एस्थेनोस्पर्मिया (asthenospermia) और एस्थेनोज़ोस्पर्मिया (asthenozoospermia) कहा जाता है।
शुक्राणु गतिशीलता समस्या के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
लंबे समय से यह भ्रांति है कि Y क्रोमोसोम वाले शुक्राणु, या “लड़का” शुक्राणु, X क्रोमोसोम (लड़की) वाले शुक्राणु की तुलना में तेजी से तैरते हैं। शोधों ने साबित किया है कि यह एक मिथक है, Y और X क्रोमोसोम वाले शुक्राणु के बीच गतिशीलता या गति में कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं होता।
शुक्राणु गतिशीलता में कमी के कई कारण हो सकते हैं। कुछ पुरुषों में आनुवंशिक (जेनेटिक) कारण हो सकता है, जबकि अन्य में एक अज्ञात मेडिकल समस्या के कारण ऐसा हो सकता है।
जीवन शैली और पर्यावरणीय कारक भी शुक्राणु गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उदाहरण के लिए, धूम्रपान को शुक्राणु की गतिशीलता में कमी से जुड़ा हुआ पाया गया है, खासकर अगर पुरुष प्रति दिन 10 से अधिक सिगरेट पीता है।
जो पुरुष ऐसी नौकरी करते हैं जिसमें पेंटिंग, ड्राइविंग, या ऐसा कोई कार्य शामिल हो जिससे उनके श्रोणि क्षेत्र में बार-बार आघात लगता है, तो उनमें बांझपन होने का खतरा बढ़ जाता है।
वैरिकोसेले (वृषण-शिरापस्फीति) नामक समस्या के कारण भी शुक्राणु गतिशीलता में कमी आ सकती है। वैरिकोसेले तब होता है जब अंडकोश के अंदर की नसें सामान्य से अधिक बढ़ जाती हैं।
पुरुष सहायक सेक्स ग्रंथि में कोई समस्या होने पर भी शुक्राणु गतिशीलता पर प्रभाव पड़ता है।
लैब में करवाए जाने वाले आम वीर्य विश्लेषण के माध्यम से शुक्राणु की गतिशीलता का परीक्षण किया जा सकता है। इस लैब टेस्ट में आपको कम से कम दो वीर्य के नमूने देने होते हैं। इन नमूनों को आमतौर पर डॉक्टर के ऑफिस या लैब में हस्तमैथुन द्वारा प्राप्त किया जाता है। हालाँकि कंडोम पहनकर सेक्स करने से भी वीर्य का नमूना प्राप्त किया जा सकता है। वीर्य के नमूने को आम तापमान पर रखा जाना चाहिए और 30 से 60 मिनट के भीतर लैब तक पहुंचा दिया जाना चाहिए।
यदि परिक्षण के परिणाम में आपके 40 प्रतिशत से कम शुक्राणु गतिशील पाए जाते हैं, तो आपमें शुक्राणु गतिशीलता में कमी होना माना जायेगा।
शुक्राणु गतिशीलता का पता लगाने के अतिरिक्त, आपके वीर्य विश्लेषण के परिणामों से निम्न चीजें भी पता चलती हैं:
जीवनशैली में निम्न बदलाव लाकर कुछ पुरुषों में शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ाने में मदद मिल सकती है:
कुछ सप्लीमेंट भी शुक्राणु गतिशीलता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक शोध में उन पुरुषों में शुक्राणु की गतिशीलता में 52 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिन्होंने कम से कम 100 दिनों तक रोजाना 200 माइक्रोग्राम सेलेनियम और 180 मिलीग्राम विटामिन ई का सेवन किया।
हालाँकि कोई भी सप्लीमेंट्स लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें और उनके दुष्प्रभावों के प्रति सावधानी बरतें। हर्बल सप्लीमेंट्स को स्वास्थ्य विभाग द्वारा विनियमित नहीं किया जाता है, इसलिए आपको इन्हें केवल प्रतिष्ठित विक्रेताओं से ही खरीदना चाहिए।
यदि आपमें शुक्राणु की गतिशीलता की कमी का कारण एक चिकित्सा समस्या है, जैसे कम हार्मोन का स्तर या वैरिकोसेले, तो कूप-उत्तेजक हार्मोन या ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन जैसी दवाएं मदद कर सकती हैं। कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकता है।
कई कारक हैं जो पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
यदि आपके शुक्राणु स्वस्थ है, लेकिन कम शुक्राणु गतिशीलता के कारण गर्भावस्था नहीं हो पा रही है, तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI) जैसी प्रजनन तकनीक का उपयोग करने से गर्भधारण करना संभव है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन तकनीकों में शुक्राणु को तैरकर अंडे तक पहुँचने की आवश्यकता नहीं होती।
यदि आप पिछले 12 या अधिक महीनों से गर्भ धारण करने का असफल प्रयास कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर आपका और आपकी साथी का परीक्षण करेगा और पता लगाएगा कि आपमें प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं है। परिक्षण के परिणामों के आधार पर डॉक्टर अगले कदम का सुझाव दे सकता है।