यौन संचारित रोग (एसटीडी) वह होते हैं जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। एसटीडी को यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) या यौन रोग या रतिरोग के नाम से भी जाना जाता है।
एक व्यक्ति में, यह एसटीडी से ग्रसित किसी अन्य व्यक्ति के साथ योनि, गुदा या मुख मैथुन करने से फैल सकता है।
हालाँकि, यह जरूरी नहीं कि सिर्फ यौन सम्बन्ध बनाने से ही यह एक दूसरे में फैले। कुछ एसटीडी सुई साझा करने और स्तनपान के माध्यम से भी फैल सकते हैं, जैसे एड्स।
लक्षणों के विकसित हुए बिना भी आपमें एसटीडी हो सकता है। लेकिन कुछ संक्रमण स्पष्ट लक्षण पैदा करते हैं।
पुरुषों में एसटीडी के आम लक्षण निम्न होते हैं:
अलग-अलग एसटीडी के विशिष्ट लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। पुरुषों में एसटीडी के लक्षणों के बारे में और जानें।
कई मामलों में महिलाओं में एसटीडी के कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन यदि लक्षण होते हैं तो वह निम्न हो सकते हैं:
अलग-अलग एसटीडी के विशिष्ट लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। महिलाओं में एसटीडी के लक्षणों के बारे में अधिक जानकारी यहाँ दी गई है।
कई अलग-अलग प्रकार के संक्रमण यौन क्रिया के द्वारा फैल सकते हैं। इनमें से सबसे आम एसटीडी निम्न हैं:
एक निश्चित प्रकार के बैक्टीरिया क्लैमाइडिया का कारण बनते हैं। अमेरिका की CDC संस्था के अनुसार, यह सबसे आम होने वाला यौन संचारित संक्रमण है।
क्लैमाइडिया वाले अधिकतर व्यक्तियों में कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन जब लक्षण होते हैं, तो वह निम्न हो सकते हैं:
उपचार न कराने पर क्लैमाइडिया के कारण आपमें निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
यदि एक गर्भवती महिला को क्लैमाइडिया है, तो प्रसव के दौरान यह उसके शिशु में भी फैल सकता है। इसके फलस्वरूप शिशु में निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
एंटीबायोटिक्स के जरिये क्लैमाइडिया का काफी आसानी से इलाज किया जा सकता है। इसलिए यदि आपको लगता है आपमें क्लैमाइडिया है, तो तुरंत डॉक्टर से जाँच करवाकर उचित इलाज प्राप्त करें।
क्लैमाइडिया के बारे में और पढ़ें, जिसमें इसे रोकने, पहचानने और इसका इलाज करने के तरीके शामिल है।
ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) एक वायरस है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्किन संपर्क या यौन क्रिया के माध्यम से फैल सकता है।
एचपीवी वायरस के कई अलग-अलग प्रारूप हैं, जिनमें कुछ अधिक खतरनाक होते हैं और कुछ कम।
एचपीवी का सबसे आम लक्षण है, जननांगों, मुंह या गले पर मस्से होना।
एचपीवी वायरस के कुछ प्रारूप कैंसर का कारण बन सकते हैं, जैसे:
हालाँकि एचपीवी के अधिकांश मामलों में कैंसर नहीं बनता, लेकिन इसके कुछ प्रारूप अन्य की तुलना में कैंसर की सम्भावना को बढ़ा देते हैं।
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार एचपीवी से संबंधित कैंसर के अधिकांश मामले एचपीवी 16 और एचपीवी 18 के कारण होते हैं। एचपीवी के यह दो प्रकार गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के सभी मामलों में अपनी 70% हिस्सेदारी रखते हैं।
एचपीवी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, एचपीवी संक्रमण अक्सर अपने आप ठीक हो जाता है।
साथ ही, एचपीवी के कुछ प्रारूपों से बचाव के लिए टीके भी उपलब्ध हैं, जिनमें एचपीवी 16 और एचपीवी 18 के टीके भी शामिल हैं।
यदि किसी व्यक्ति को एचपीवी होता है, तो डॉक्टर द्वारा उचित जाँच और पहचान के माध्यम से इसकी जटिलताओं के जोखिम का आकलन और प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है।
सिफलिस एक बैक्टीरियल संक्रमण होता है। अक्सर इसके शुरुआती चरणों में कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते, इसलिए शुरुआत में इसका पता लगाना मुश्किल होता है।
इसका पहला लक्षण एक छोटा गोल घाव होता है, जो जननांगों, गुदा या मुँह में हो सकता है। हालाँकि इस घाव में कोई दर्द नहीं होता, इसलिए लोग अक्सर इसे तुरंत नोटिस नहीं कर पाते। लेकिन यह घाव काफी ज्यादा संक्रामक होता है।
बाद में सिफलिस के निम्न लक्षण हो सकते हैं:
अनुपचारित छोड़ देने पर सिफलिस के आखिरी चरण में आपको निम्न जटिलताएं हो सकती हैं:
सौभाग्य से, जल्दी पता लगने पर, सिफलिस का आसानी से एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये इलाज किया जा सकता है। हालांकि, नवजात शिशु में सिफलिस का संक्रमण घातक हो सकता है, इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को सिफलिस की जाँच करवाना महत्वपूर्ण है।
सिफलिस की पहचान और इलाज जितना जल्दी होगा, इससे नुकसान भी उतना ही कम होगा। सिफलिस को पहचानने और उसे रोकने के लिए आवश्यक जानकारी यहाँ पढ़ें।
एचआईवी व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे अन्य वायरस या बैक्टीरिया को अनुबंधित करने और कुछ कैंसर विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है।
समय पर उपचार न कराने पर, यह स्टेज 3 एचआईवी को जन्म दे सकता है, जिसे एड्स के रूप में जाना जाता है। आजकल ऐसे उपचार उपलब्ध हैं, जिसमें एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति में एड्स होने से रोका जा सकता है।
शुरुआती स्टेज में एचआईवी के लक्षण फ्लू (संक्रमण, जुकाम, बुखार आदि) के समान होते हैं, इसलिए लक्षणों के माध्यम से इसका पता लगाना मुश्किल होता है।
आपमें एचआईवी के निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं:
आमतौर पर यह शुरुआती लक्षण एक महीने के भीतर अपनेआप ठीक हो जाते हैं। इसके बाद एक व्यक्ति में कई वर्षों तक बिना कोई गंभीर या लगातार लक्षण विकसित हुए एचआईवी बना रह सकता है। हालाँकि कुछ लोगों में इसके गैर-विशिष्ट लक्षण बने रह सकते हैं, जैसे
अभी तक एचआईवी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके प्रबंधन के वैकल्पिक उपचार उपलब्ध हैं। शुरुआती स्टेज में प्रभावी उपचार कराने से एचआईवी का मरीज आम लोगों की तरह अपनी पूरी जिंदगी जी सकता है।
उचित उपचार करवाने से व्यक्ति द्वारा अपने सेक्स पार्टनर को एचआईवी संचारित करने की संभावना को भी कम किया जा सकता है। वास्तव में, उपचार संभावित रूप से किसी व्यक्ति के शरीर में एचआईवी की मात्रा को महीन स्तर तक कम कर सकता है। महीन स्तर पर, एचआईवी अन्य लोगों में नहीं फैलता।
नियमित जाँच के बिना, एचआईवी वाले बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें यह है। शीघ्र पहचान और उपचार को बढ़ावा देने के लिए, अमेरिका का CDC संसथान कहता है कि 13 से 64 वर्ष की आयु के सभी लोगों को कम से कम एक बार अपनी एचआईवी की जाँच जरूर करवानी चाहिए।
एचआईवी के उच्च जोखिम वाले लोगों (जैसे वेश्या या कई लोगों के साथ सम्बन्ध रखने वाले व्यक्ति) को वर्ष में कम से कम एक बार एचआईवी की जाँच जरूर करवानी चाहिए, भले ही उनमें लक्षण न हों।
हाल में एचआईवी के परीक्षण और उपचार प्रक्रिया में काफी प्रगति हो चुकी है, जिससे एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति एक लम्बा जीवन जी सकता है।
गोनोरिया भी एक आम बैक्टीरियल यौन संचारित संक्रमण है।
गोनोरिया से ग्रसित ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण विकसित नहीं होते। लेकिन यदि विकसित होते हैं, तो लक्षण निम्न हो सकते हैं:
समय पर उपचार न कराने पर, गोनोरिया निम्न जटिलताएं पैदा कर सकता है:
बच्चे के जन्म के दौरान एक मां से उसके नवजात शिशु में गोनोरिया फैलना संभव है। जब ऐसा होता है, तो गोनोरिया शिशु में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। यही कारण है कि कई डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को संभावित एसटीडी की जाँच और इलाज करवाने की सलाह देते हैं।
आमतौर पर, एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये गोनोरिया का इलाज किया जा सकता है। गोनोरिया के लिए लक्षण, उपचार के विकल्प और दीर्घकालिक जटिलताओं के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ पढ़ें।
जघन जूँ वे होते हैं, जो आपके जननांगों के बालों में निवास करते हैं। सिर के जूँ की तरह ही, यह व्यक्ति का खून पीकर जिंदा रहते हैं।
जघन जूँ के सामान्य लक्षण निम्न हैं:
एक व्यक्ति अपने जननांगों के बालों की जड़ों के आसपास जूँ या उनके छोटे सफेद अंडे देख भी सकता है। एक आवर्धक कांच आपको उन्हें पहचानने में मदद कर सकता है। एक आवर्धक लेंस आपको जूँ पहचानने में अतिरिक्त मदद कर सकता है।
यदि उपचार न किया जाए, तो जघन जूँ स्किन के संपर्क, साझा कपड़ों, बिस्तर या तौलिये के माध्यम से अन्य लोगों में फैल सकते हैं। जूँ द्वारा काटी गई स्किन में संक्रमण भी हो सकता है। इसलिए जघन जूँ से तुरंत छुटकारा पाना बेहतर होता है।
यदि आपको जघन जूँ हैं, तो इन्हें हटाने के लिए कई ओवर द काउंटर दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें आप बिना डॉक्टर पर्चे के किसी भी मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं।
इसके अलावा जूँ को फैलने से रोकने के लिए अपने कपड़े, बिस्तर, तौलिये और घर को साफ रखना भी महत्वपूर्ण है।
ट्राइकोमोनिएसिस एक छोटे प्रोटोजोआ जीव के कारण होता है, जो जननांग संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
अमेरिका के CDC संस्थान के अनुसार, ट्राइकोमोनिएसिस वाले एक तिहाई से भी कम लोगों में इसके लक्षण विकसित होते हैं। लेकिन यदि लक्षण विकसित होते हैं, तो वह निम्न हो सकते हैं:
महिलाओं में, ट्राइकोमोनिएसिस से संबंधित योनि रिसाब में अक्सर एक अप्रिय गंध होती है।
उपचार न कराने पर ट्राइकोमोनिएसिस के कारण निम्न जटिलताएं पैदा हो सकती हैं:
एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये ट्राइकोमोनिएसिस का उपचार संभव है।
जननांग दाद हरपीज सिंप्लेक्स वायरस (HSV) के कारण होती है। इस वायरस के दो मुख्य प्रकार होते हैं, HSV-1 और HSV-2, दोनों ही यौन क्रिया द्वारा संचारित हो सकते हैं।
HSV-1 मुख्य रूप से मुँह की दाद का कारण बनता है, जो मुँह पर या उसके आसपास छालों की तरह हो सकते हैं। हालांकि, मुख मैथुन (ओरल सेक्स) के दौरान HSV-1 एक व्यक्ति के मुंह से दूसरे व्यक्ति के जननांगों में भी फैल सकता है। ऐसी स्थिति में HSV-1 जननांग दाद पैदा कर सकता है।
HSV-2 मुख्य रूप से जननांग दाद का कारण बनता है।
दाद का सबसे आम लक्षण होता है फफोले या छालों जैसे घाव बनना। जननांग दाद के मामले में, ये घाव जननांगों पर या उसके आसपास विकसित होते हैं। मौखिक दाद में, यह मुंह पर या उसके आसपास विकसित होते हैं।
आमतौर पर दाद कुछ हफ्तों में सूखकर अपनेआप ठीक हो जाती है। इसका पहला प्रकोप आमतौर पर दर्दनाक होता है। आगे के प्रकोप कम दर्दनाक हो सकते हैं, लेकिन इनके होने की बारंबारता भी कम हो सकती है।
यदि एक गर्भवती महिला को दाद है, तो वह संभावित रूप से इसे गर्भ में अपने भ्रूण या जन्म के दौरान नवजात शिशु में फैला सकती है। यह जन्मजात दाद नवजात शिशुओं के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपनी एसटीडी स्थिति के बारे में जागरूक होना फायदेमंद है।
दाद को जड़ से खत्म करने का अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। लेकिन इसके प्रकोपों को नियंत्रित करने और दाद के घावों के दर्द को कम करने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। यही दवाएं आपके द्वारा अपने सेक्स पार्टनर में दर्द को संचारित करने की सम्भावना को भी कम करती हैं।
प्रभावी उपचार प्राप्त करने और सुरक्षित सेक्स का अभ्यास करने से आपको दाद के साथ एक आरामदायक जीवन जीने और दूसरों को वायरस से बचाने में मदद मिल सकती है। जननांग दाद को रोकने, पहचानने और प्रबंधित करने के लिए आवश्यक जानकारी यहाँ पढ़ें।
अन्य, कम आम एसटीडी निम्न हैं:
केवल योनि और गुदा सेक्स ही एसटीडी संचरित नहीं होता। मौखिक सेक्स के माध्यम से भी एसटीडी को अनुबंधित या प्रसारित करना संभव है।
दूसरे शब्दों में, एसटीडी एक व्यक्ति के जननांगों से दूसरे व्यक्ति के मुँह या गले में जा सकते हैं, या इसके उलट मुँह से जननांगों में संचरित हो सकता है।
मुँह में एसटीडी के हमेशा ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। और जब लक्षण पैदा होते हैं, तो उनमें अक्सर गले में खराश या मुंह या गले के आसपास घाव होना शामिल हैं।
कई यौन संचारित रोगों का इलाज संभव है। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित एसटीडी को एंटीबायोटिक दवाओं या अन्य उपचारों के माध्यम से है:
कुछ एसटीडी को जड़ से ठीक नहीं किया जा सकता। जैसे:
भले ही कुछ एसटीडी को ठीक नहीं किया जा सकता है, फिर भी इनके लक्षणों और प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। हालाँकि दीर्घकालिक जटिलताओं से बचने के लिए इनकी जल्द से जल्द पहचान होना आवश्यक है।
महिला द्वारा गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के दौरान नवजात शिशु में एसटीडी संचारित करना संभव है। नवजात शिशुओं में, यौन संचारित रोग कई गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। कुछ मामलों में तो यह बच्चे के लिए प्राणघातक भी हो सकते हैं।
नवजात शिशु में एसटीडी की सम्भावना को खत्म करने के लिए, डॉक्टर अक्सर गर्भवती महिलाओं को एसटीडी की जाँच और इलाज की सलाह देते हाँ। कोई लक्षण न होने पर भी गर्भवती महिलाओं को एसटीडी की जाँच करवानी चाहिए, क्योंकि एसटीडी के अधिकतर मामलों में लक्षण विकसित नहीं होते।
यदि गर्भावस्था के दौरान आपमें कोई एसटीडी निकलता है तो डॉक्टर संक्रमण के आधार पर आपको कुछ एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवायें लिख सकता है, या कुछ उपचार करवाने की सलाह दे सकता है।
कुछ मामलों में, प्रसव के दौरान बच्चें में एसटीडी संचरण के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर आपको सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दे सकता है।
ज्यादातर मामलों में, डॉक्टर केवल लक्षणों के आधार पर एसटीडी की पहचान नहीं कर सकता। यदि डॉक्टर को आपमें कोई एसटीडी होने का संदेह होता है, तो वह संभावित रूप से टेस्ट करवाने की सलाह देगा।
आपके यौन इतिहास के आधार पर भी डॉक्टर एसटीडी टेस्ट की सलाह दे सकता है, फिर भले ही आपमें कोई लक्षण न हों। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई मामलों में एसटीडी के कोई ध्यान देने योग्य लक्षण पैदा नहीं होते। लेकिन बिना लक्षण वाले एसटीडी भी नुकसान पहुँचा सकते हैं या अन्य लोगों में फैल सकते हैं।
अधिकांश मामलों में डॉक्टर यूरिन या ब्लड टेस्ट के माध्यम से एसटीडी की पहचान कर लेता है। वह आपके जननांगों की स्किन का नमूना भी ले सकता है। यदि आपमें कोई घाव या फोड़ा विकसित हुआ है, तो वह उसमें से भी नमूना ले सकता है।
यदि आप सेक्सुअली एक्टिव हैं, खासतौर से एक से अधिक पार्टनरों के साथ, तो नियमित रूप से अपना एसटीडी टेस्ट करवाते रहें।
एसटीडी के प्रकार के आधार पर उसका उपचार भिन्न-भिन्न हो सकता है।
यदि आपमें कोई एसटीडी है तो यौन गतिविधि शुरू करने से पहले यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपना एसटीडी का उपचार पूरा करें। नहीं आप अपनी एसटीडी को अपने सेक्सुअल पार्टनर में आसानी से फैला सकते हैं।
आमतौर पर, एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये बैक्टीरियल संक्रमण को आसानी किया जा सकता है।
डॉक्टर द्वारा दी गई सभी एंटीबायोटिक दवाओं का नियम से सेवन करना महत्वपूर्ण है। यदि आपके लक्षण खत्म हो जाते हैं तब भी दवाओं का सेवन बंद न करें।
यदि दवाओं का पूरा कोर्स करने के बाद भी आपमें लक्षण खत्म नहीं होते हैं, या एसटीडी ठीक नहीं होती है, तो डॉक्टर से इस बारे में खुलकर चर्चा करें।
एंटीबायोटिक दवाएं वायरल एसटीडी का इलाज नहीं कर सकतीं।
हालाँकि अधिकतर वायरल संक्रमणों का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। और कई मामलों में, सिर्फ लक्षणों को दूर करने औरवायरस के फैलने के जोखिम को कम करने के लिए उपचार उपलब्ध होते हैं।
उदाहरण के लिए, जननांग दाद के प्रकोप की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। इसी तरह, उपचार के माध्यम से एचआईवी की प्रगति को रोकने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, एंटीवायरल दवाएं आपके द्वारा किसी और को एचआईवी संचारित करने के जोखिम को कम कर सकती हैं।
कुछ यौन संचारित रोग न तो तो बैक्टीरिया से फैलते हैं और न ही वायरस से। इसके बजाय, यह अन्य छोटे जीवों के कारण होते हैं। उदाहरण के लिए:
आमतौर पर इन एसटीडी का इलाज मौखिक दवाओं या टोपिकल क्रीम के माध्यम से संभव है। अपनी स्थिति और उपचार विकल्पों के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
यौन गतिविधि से बचना ही एसटीडी से बचने का एकमात्र 100% कारगर तरीका है। लेकिन कुछ तरीके हैं जिनके माध्यम से योनि, गुदा या मुख मैथुन के दौरान एसटीडी फैलने की सम्भावना को कम किया जा सकता है।
यदि ठीक से उपयोग किया जाये, तो कंडोम कई एसटीडी के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसलिए सर्वोत्तम सुरक्षा के लिए, योनि, गुदा और मुख मैथुन के दौरान कंडोम का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। मुख मैथुन के दौरान डेंटल डैम भी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
आमतौर पर कंडोम उन एसटीडी को रोकने में प्रभावी होते हैं, जो तरल पदार्थ, जैसे वीर्य या रक्त के माध्यम से फैलते हैं। लेकिन यह स्किन के संपर्क से फैलने वाले एसटीडी से पूरी तरह से रक्षा प्रदान नहीं करते। इसलिए यदि कंडोम स्किन से फैलने वाले संक्रमित क्षेत्र को कवर नहीं करता है, तब भी एसटीडी फ़ैल सकता है।
हालाँकि, कंडोम न केवल कुछ एसटीडी, बल्कि अनचाहे गर्भ से बचाने में भी मदद करते हैं।
इसके विपरीत, कई अन्य प्रकार के जन्म नियंत्रण के तरीके अनचाहे गर्भ से तो बचा सकते हैं, लेकिन एसटीडी से नहीं। उदाहरण के लिए, जन्म नियंत्रण के निम्नलिखित तरीके एसटीडी से रक्षा नहीं करते हैं:
किसी भी यौन रूप से सक्रिय व्यक्ति को नियमित रूप से एसटीडी की जाँच करवाते रहना महत्वपूर्ण है। खासतौर से उन व्यक्तियों के लिए जिन्होंने किसी नए पार्टनर के साथ यौन सम्बन्ध बनाये हैं, या जिनके एक से सेक्स पार्टनर हैं। एसटीडी की जल्दी पहचान और उचित उपचार लेने से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है और दीर्घकालिक जटिलताओं से बचा जा सकता है।
एक नए पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने से पहले, उसके यौन इतिहास पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है। कोई भी संदेह होने पर दोनों पार्टनरों को एसटीडी की जाँच कर लेनी चाहिए। चूंकि एसटीडी में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते, इसलिए इसका पता लगाने का एकमात्र तरीका जाँच ही है।
यदि किसी व्यक्ति में एसटीडी जाँच का परिणाम पॉजिटिव आता है, तो उसे जल्द से जल्द उपचार करवाना चाहिए। और एसटीडी का पूर्ण उपचार प्राप्त करने तक, उसे किसी भी प्रकार की यौन गतिविधि से बचना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति में एसटीडी होता है, तो वह अक्सर इसे अपने सेक्स पार्टनर में फैलने की सम्भावना को भी बढ़ा देता है। साथ ही, कुछ एसटीडी का समय पर इलाज न होने पर गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ भी पैदा हो सकते हैं।
कुछ दुर्लभ मामलों में, अनुपचारित एसटीडी प्राणघातक भी हो सकता है।
सौभाग्य से, अधिकांश एसटीडी का इलाज काफी आसान होता है। कुछ मामलों में, इन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। अन्य मामलों में, प्रारंभिक और प्रभावी उपचार आपके लक्षणों को दूर करने, जटिलताओं के जोखिम को कम करने और इससे अपने सेक्सुअल पार्टनर की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
एसटीडी के लिए निर्धारित दवाएं देने के अलावा, एक डॉक्टर आपको अपनी और दूसरों की सुरक्षा में मदद करने के लिए अपनी यौन आदतों को सुधारने की सलाह भी दे सकता है। उदाहरण के लिए, जब तक संक्रमण का प्रभावी ढंग से इलाज नहीं हो जाता, तब तक वह आपको किसी भी यौन गतिविधि से बचने की सलाह देगा। और जब आप सेक्स करने के लिए फिर से तैयार होंगें, तब आपको कंडोम, डेंटल डैम या सुरक्षा के अन्य तरीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार और रोकथाम योजना का पालन करने से, एसटीडी से बचाव के साथ-साथ दीर्घकालिक जटिलताओं से बचने में भी मदद मिल सकती है।