क्या आपको लगता है कि शुक्राणु और वीर्य एक ही चीज को कहा जाता है और आपको आश्चर्य है कि यह कैसे भिन्न होते हैं? हम इस प्रश्न पर विस्तार से चर्चा करेंगे और शुक्राणु व वीर्य से सम्बंधित कुछ अन्य लोकप्रिय प्रश्नों के भी उत्तर देंगे, जिनके बारे में जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है।
नहीं! (दिमाग उड़ गया, है ना?)
वास्तव में शुक्राणु वीर्य में पाए जाने पानी कोशिकाएं होती हैं। यानी शुक्राणु वीर्य का हिस्सा होते हैं, लेकिन वीर्य शुक्राणुओं का हिस्सा नहीं होता।
वीर्य, जिसे स्खलन भी कहा जाता है, एक सफेद तरल पदार्थ होता है जो लिंग से तब निकलता है जब कोई पुरुष उत्तेजना के दौरान स्खलित होता है – ठीक है, आमतौर पर पुरुषों में उत्तेजना के दौरान वीर्य स्खलन होता है, लेकिन हमेशा नहीं। (यदि आप उत्सुक हैं तो आप सूखे स्खलन पर अधिक पढ़ सकते हैं।)
शुक्राणु काफी छोटी-छोटी पुरुष प्रजनन कोशिकाएं होती हैं और वीर्य में सिर्फ एक घटक के रूप में मिली हुई होती हैं। हालांकि यदि आप बच्चा पैदा करना चाहते हैं तो आपके वीर्य में इन शुक्राणु कोशिकाओं का होना आवश्यक है। क्योंकि शुक्राणु कोशिका ही महिला गर्भाशय में अंडे को फर्टिलाइज करके बच्चा पैदा होने का कारण बनती हैं।
यही कारण है कि पुरुष नसबंदी के बाद जब पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं का घुलना बंद हो जाता है, जिससे उनका वीर्य स्खलन होने के बावजूद महिला गर्भवती नहीं होती।
इस बारे में निश्चित रूप से कोई नहीं जानता कि क्यों अक्सर लोग वीर्य को सम्बोधित करने के लिए शुक्राणु या शुक्राणुओं को सम्बोधित करने के लिए वीर्य शब्द का उपयोग कर बैठते हैं। लेकिन इसको समझना आसान है कि लोग ऐसा क्यों करते हैं।
हमारा मतलब है, आखिरकार दोनों एक ही जगह से निकलते हैं और एक ही चीज में पाए जाते हैं। यानी यदि कोई ‘वीर्य’ शब्द कहे या ‘शुक्राणु’, ज्यादातर लोगों के मन में लिंग से निकलने वाले उस सफ़ेद पदार्थ के बारे में ही झलक आती है। इसलिए अक्सर इन दोनों शब्दों को लोग पर्यायवाची समझ लेते हैं, जिसका अर्थ एक ही होता है।
हालाँकि, यह एक ईमानदार गलती है।
हां! वीर्य वास्तव में प्रोस्टेट, वीर्य पुटिकाओं व बल्बौरेथ्रल ग्रंथियों से निकलने वाले तरल पदार्थ और परिपक्व शुक्राणुओं का एक संयोजन होता है।
यह शुगर, प्रोटीन और यहां तक कि कुछ विटामिन और खनिजों जैसी सामग्रियों से भी भरपूर होता है।
आप शायद यह तो जानते ही होंगे शुक्राणु कोशिकाएं एक सिर व पूँछ के साथ लार्वा के आकार की होती हैं और मछली की तरह तैरकर आगे बढ़ती हैं।
इनकी टेढ़ी-मेढ़ी पूँछ और मछली जैसे आकार के बावजूद, इन्हें आगे ले जाने के लिए वीर्य की आवश्यकता होती है, नहीं तो शुक्राणु एक ही जगह पर गोल घेरे में तैरते रहेंगे।
तो वीर्य अनिवार्य रूप से एक वाहक है जो शुक्राणुओं को प्रजनन के उद्देश्य से अंडे तक पहुँचाने में मदद करता है।
इसके अलावा वीर्य शुक्राणुओं की एक सुरक्षात्मक परत की तरह भी कार्य करता है और बाहरी वातावरण से उनकी रक्षा करता है।
वीर्य का निर्माण वास्तव में एक बड़ी, काफी प्रभावशाली और कई चरणों में होने वाली एक जटिल प्रक्रिया है।
वीर्य के तत्व निम्न अलग-अलग जगहों पर बनते हैं:
एक बार वीर्य बन जाने के बाद, यह स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से होकर लिंग से बाहर निकल जाता है।
औसतन, लगभग एक चम्मच, लेकिन कुछ चीजें हैं जो इस मात्रा को प्रभावित करती हैं।
धूम्रपान, आहार, जेनेटिक्स और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारक वीर्य की मात्रा को प्रभावित कर सकते हैं।
यदि पुरुष कुछ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करता है, यानी वीर्य का स्खलन नहीं करता है, तो अगली बार उसके स्खलन में अधिक वीर्य निकलने की संभावना होती है।
आयु भी वीर्य की मात्रा को प्रभावित करने वाला एक और बड़ा कारक है।
मजेदार तथ्य: ज्यादातर पुरुष 30-34 साल की उम्र में सबसे अधिक वीर्य का उत्पादन करते हैं।
वीर्य स्खलन से पहले लिंग से निकलने वाले पदार्थ को पूर्व स्खलन कहा जाता है, इसका मुख्य कार्य लिंग को चिकनाई प्रदान करना होता है।
आमतौर पर पूर्व स्खलन में शुक्राणु नहीं होते, लेकिन हो सकते हैं।
यदि मूत्रमार्ग में बचे हुए शुक्राणु मौजूद होते हैं, तो यह पूर्व स्खलन के साथ मिल सकते हैं।
यही कारण है कि पुल-आउट विधि (वीर्य स्खलन से पहले लिंग को योनि से बाहर निकालने की विधि) को जन्म नियंत्रण का विश्वसनीय तरीका नहीं माना जाता है।
विभिन्न शोधों में, पूर्व-स्खलन के नमूनों में सक्रिय शुक्राणु होना पाया गया है।
केवल तभी जब आप इन्हें माइक्रोस्कोप से देख रहे हों।
शुक्राणु छोटे होते हैं, मतलब बहुत ज्यादा छोटे होते हैं।
एक औसत शुक्राणु केवल 4.3 माइक्रोमीटर (माइक्रोन) लंबा और 2.9 माइक्रोमीटर चौड़ा होता है।
एक मिलीलीटर वीर्य में 1.5 करोड़ से 20 करोड़ के बीच शुक्राणु होना सामान्य होता है।
बहुत सी चीजें शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित कर सकती हैं, जिसमें प्रजनन प्रणाली के साथ कोई समस्या होने से लेकर जीवन शैली तक सब शामिल है। यहां तक कि आसपास का वातावरण भी किसी व्यक्ति के शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित कर सकता है।
यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्खलन के बाद शुक्राणु कहाँ पहुँचते हैं।
वह शुक्राणु जो योनि की गर्मी और सुरक्षा में छोड़े जाते हैं, वह गर्भाशय श्लेष्मा द्वारा प्रदान किए गए सुरक्षात्मक प्रभावों के कारण 5 दिनों तक जीवित रह सकते हैं।
वह शुक्राणु जो योनि के अलावा कहीं और छोड़े जाते हैं, उनके लंबे जीवन की संभावना बहुत कम होती है – आमतौर पर केवल कुछ मिनट, खासकर अगर वे ठंडी, सूखी सतह पर उतरते हैं, जैसे कि बाथरूम का फर्श या कंप्यूटर स्क्रीन।
गर्म पानी शुक्राणुओं को और भी तेजी से मार सकता है।
पुरुष का शरीर शुक्राणुओं की फैक्टरी की तरह होता है, जो निरंतर नए शुक्राणु बनाता रहता है।
एक स्वस्थ पुरुष का शरीर एक सेकंड में लगभग 1,500 शुक्राणुओं का उत्पादन करता है।
जर्म सेल से लेकर परिपक्व शुक्राणु बनने तक की पूरी प्रक्रिया में लगभग 74 दिन लगते हैं।
नहीं। अंडकोष तब तक शुक्राणु बनाना निरंतर जारी रखते हैं जब तक वे स्वयं जीवित रहते हैं।
हालाँकि, उम्र बढ़ने के साथ उत्पादित शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता में गिरावट आती है, खासकर 50 वर्ष की आयु के बाद।
लिंग से निकलने वाले उस सफेद स्खलन का जिक्र करते समय लोग हमेशा वीर्य और शुक्राणु शब्दों का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन अब आप जान गए हैं कि यह दोनों शब्द समान नहीं हैं।